श्री शिव पुराण-माहात्म्य हिंदी में| The Glory of Shri Shiv Puran in English

शिव पुराण की रचना किसने की ?

महर्षि वेद व्यास द्वारा रचित शिव पुराण को पवित्र पौराणिक ग्रंथों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। इस ग्रंथ में भगवान शिव की भक्ति और उस पवित्र प्रेम की महिमा का उल्लेख है, जो सभी पापों से मुक्ति दिलाकर परमधाम की प्राप्ति कराता है।

पुराणों में वर्णित सूतजी कौन हैं?

सूतजी महान वेद व्यास के शिष्य हैं। वे वेद व्यास के सबसे करीबी और प्रिय शिष्य हैं। उन्होंने ब्रह्माण्ड का सारा ज्ञान स्वयं वेद व्यास से ही प्राप्त किया था। सूतजी बहुत कम उम्र में ही वेद व्यास के शिष्य बन गए और उनका अनुसरण करने लगे तथा उनके ज्ञान का समयबद्ध तरीके से पालन करने लगे। उन्होंने वेद व्यास के मुख से पुराणों का सारा ज्ञान प्राप्त किया और वेद व्यास उन्हें यह सारा ज्ञान स्वयं सिखाते थे।

वेद व्यास ने उन्हें सभी पवित्र पुस्तकों और पुराणों में उपस्थित होने का आशीर्वाद दिया और उन्हें यह ज्ञान दूसरों को बताने के लिए कहा।इसलिए, वेद व्यास के स्वर्ग चले जाने के बाद, उनके द्वारा दिए गए पुराण ज्ञान को सूतजी ने अन्य ऋषियों को सुनाया। अन्य महान ऋषियों और अपने शिष्यों को पुराण ज्ञान बांटने के कारण, उनका उल्लेख सभी पुराणों में हुआ। – क्वोरा से

शिव पुराण में शौनक कौन है?

विष्णुपुराण के अनुसार शौनक मुनि गृतसमद के पुत्र थे। सूत महामुनि ने शौनक महामुनि के नेतृत्व में ऋषियों के एक समूह को पौराणिक कहानियाँ सुनाईं।

सूत जी द्वारा शिव पुराण की महिमा का वर्णन

शौनकजीके साधनविषयक प्रश्न करनेपर सूतजीका उन्हें शिवपुराणकी उत्कृष्ट महिमा सुनाना

श्रीशौनकजीने पूछा-महाज्ञानी सूतजी ! आप सम्पूर्ण सिद्धान्तोंके ज्ञाता हैं। प्रभो! मुझसे पुराणोंकी कथाओंके सारतत्त्वकाविशेषरूपसे वर्णन कीजिये। ज्ञान और वैराग्य- सहित भक्तिसे प्राप्त होनेवाले विवेककी वृद्धि कैसे होती है? तथा साधुपुरुष किस प्रकार अपने काम- -क्रोध आदि मानसिक विकारोंका निवारण करते हैं? इस घोर कलिकालमें जीव प्रायः आसुर स्वभावके हो गये हैं, उस जीवसमुदायको शुद्ध (दैवी सम्पत्तिसे युक्त) बनानेके लिये सर्वश्रेष्ठ उपाय क्या है? आप इस समय मुझे ऐसा कोई शाश्वत साधन बताइये, जो कल्याणकारी वस्तुओंमें भी सबसे उत्कृष्ट एवं परम मंगलकारी हो तथा पवित्र करनेवाले उपायोंमें भी सर्वोत्तम पवित्रकारक उपाय हो ।
तात! वह साधन ऐसा हो, जिसके अनुष्ठान से शीघ्र ही अन्तःकरण की विशेष शुद्धि हो जाये तथा उससे निर्मल चित वाले पुरुष को सदा के लिए शिव की प्राप्ति हो जाये ।

श्रीसूतजीने कहा – मुनिश्रेष्ठ शौनक ! तुम धन्य हो; क्योंकि तुम्हारे हृदयमें पुराण-कथा सुननेका विशेष प्रेम एवं लालसा है। इसलिये मैं शुद्ध बुद्धिसे विचारकर तुमसे परम उत्तम शास्त्रका वर्णन करता हूँ। वत्स ! वह सम्पूर्ण शास्त्रोंके सिद्धान्तसे सम्पन्न, भक्ति आदिको बढ़ाने- वाला तथा भगवान् शिवको संतुष्ट करने- वाला है। कानोंके लिये रसायन- अमृतस्वरूप तथा दिव्य है, तुम उसे श्रवण करो।

मुने! वह परम उत्तम शास्त्र है – शिवपुराण, जिसका पूर्वकालमें भगवान् शिवने ही प्रवचन किया था।यह कालरूपी सर्पसे प्राप्त होनेवाले महान् त्रासका विनाश करनेवाला उत्तम साधन है। गुरुदेव व्यासने सनत्कुमार मुनिका उपदेश पाकर बड़े आदरसे संक्षेपमें ही इस पुराण की रचना की है। इस पुराणके रचना का उद्देश्य है – कलियुगमें उत्पन्न होनेवाले मनुष्योंके परम हितका साधन ।

यह शिवपुराण परम उत्तम शास्त्र है। इसे इस भूतलपर भगवान् शिवका वाङ्मय स्वरूप समझना चाहिये और सब प्रकारसे इसका सेवन करना चाहिये इसका पठन और श्रवण सर्वसाधनरूप है। इससे शिव- भक्ति पाकर श्रेष्ठतम स्थितिमें पहुँचा हुआ मनुष्य शीघ्र ही शिवपदको प्राप्त कर लेता है। इसीलिये सम्पूर्ण यत्न करके मनुष्योंने इस पुराणको पढ़नेकी इच्छा की है— अथवा इसके अध्ययनको अभीष्ट साधन माना है। इसी तरह इसका प्रेमपूर्वक श्रवण भी सम्पूर्ण मनोवांछित फलोंको देनेवाला है। भगवान् शिवके इस पुराणको सुननेसे मनुष्य सब पापोंसे मुक्त हो जाता है तथा इस जीवनमें बड़े-बड़े उत्कृष्ट भोगोंका उपभोग करके अन्तमें शिवलोकको प्राप्त कर लेता है।

यह शिवपुराण नामक ग्रन्थ चौबीस हजार श्लोकोंसे युक्त है। इसकी सात संहिताएँ हैं। मनुष्यको चाहिये कि वह भक्ति, ज्ञान और वैराग्यसे सम्पन्न हो बड़े आदरसे इसका श्रवण करे। सात संहिताओंसे युक्त यह दिव्य शिवपुराण परब्रह्म परमात्माके समान विराजमान है और सबसे उत्कृष्ट गति प्रदान करनेवाला है।जो निरन्तर अनुसंधानपूर्वक हस शिवपुराणको बाँचता है अथवा नित्य प्रेमपूर्वक इसका पाठमात्र करता है, वह पुण्यात्मा है-इसमें संशय नहीं है। जो उत्तम बुद्धिवाला पुरुष अन्तकाल भक्तिपूर्वक इस पुराणको सुनता है, उसपर अत्यन्त प्रसन्न हुए भगवान् महेश्वर उसे अपना पद (धाम) प्रदान करते हैं। जो प्रतिदिन आदरपूर्वक इस शिवपुराणका पूजन करता है, वह इस संसारमें सम्पूर्ण भोगोंको भोगकर अन्तमें भगवान् शिवके पदको प्राप्त कर लेता है।

जो प्रतिदिन आलस्यरहित हो रेशमी वस्त्र आदिके वेष्टनसे इस शिवपुराणका सत्कार करते है, वह सदा सुखी होता है।यह शिव- पुराण निर्मल तथा भगवान् शिवका सर्वस्व है; जो इहलोक और परलोकमें भी सुख चाहता हो, उसे आदरके साथ प्रयत्नपूर्वक इसका सेवन करना चाहिये। यह निर्मल एवं उत्तम शिवपुराण धर्म, अर्थ, काम और मोक्षरूप चारों पुरुषार्थोंको देनेवाला है। अतः सदा प्रेमपूर्वक इसका श्रवण एवं विशेष पाठ करना चाहिये ।

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Shiv Puran - SutaJi-SaunakJi
Shiv Puran – SutaJi-SaunakJi

Who composed Shiv Purana?

Shiva Purana composed by Maharishi Ved Vyas has the highest place among the sacred mythological texts. This book mentions the devotion of Lord Shiva and the glory of that sacred love, which frees one from all sins and leads to attaining the supreme abode.

Who is Sutji mentioned in the Puranas?

Sutaji is a disciple of the great Ved Vyas. He is the nearest and dearest disciple of Ved Vyas. He had obtained all the knowledge of the universe from Ved Vyas himself.
Sutji became the disciple of Ved Vyas at a very young age and started following him and following his knowledge in a timely manner. He obtained all the knowledge of Puranas from the mouth of Ved Vyas and Ved Vyas himself taught him all this knowledge.

Veda Vyasa blessed him to be present in all the sacred books and Puranas and asked him to convey this knowledge to others.
Therefore, after Ved Vyas went to heaven, the Puranic knowledge given by him was narrated by Sutaji to other sages. Due to his sharing of Puranic knowledge with other great sages and his disciples, he is mentioned in all the Puranas.

Who is Shaunaka in Shiv Purana?

According to Vishnupuran, Shaunaka was the son of Muni Gritasamad. Suta Mahamuni narrated mythological stories to a group of sages led by Shaunaka Mahamuni.

Description of the glory of Shiva Purana by Suta ji

When Shaunak ji asked questions about the means, Sut ji told him the excellent glory of Shiv Puran.

Shri Shaunakji asked – Mahagyani Sutji! You are knowledgeable of complete principles. Lord! Please describe to me specifically the essence of the stories of the Puranas. How does the wisdom gained through devotion including knowledge and renunciation increase? And how do sages get rid of their mental disorders like lust, anger etc.? In this period of severe calamity, living beings have almost become demonic in nature, what is the best solution to make that community of living beings pure (full of divine wealth)?

At this time, please tell me about such an eternal means, which is the most excellent and most auspicious among the welfare things and also the best purifying remedy among the purifying measures.
Tat! That means it should be such that its ritual can quickly lead to special purification of the conscience and through it a person with a pure mind can attain Shiva forever.

Shrisutji said – Munishreshtha Shaunak! You are blessed; Because there is a special love and desire in your heart to listen to mythological stories. Therefore, after thinking with pure intellect, I am describing the most excellent scripture to you. Child ! It is full of principles from all the scriptures, increases devotion etc. and satisfies Lord Shiva. Rasayana for the ears – It is nectar-like and divine, you listen to it.

Mune! That is the most excellent scripture – Shivpuran, which was preached by Lord Shiva in ancient times. It is the best means to destroy the great trouble that comes from the serpent in the form of time. Gurudev Vyas composed this Purana with great respect after receiving the teachings of Sanatkumar Munika. The purpose of writing this Purana is to provide a means for the ultimate welfare of the humans born in Kaliyuga.

This Shivpuran is the best scripture. It should be considered as the literary form of Lord Shiva on this earth and should be consumed in every way, reading and listening to it is the best means. Through this, a person who has reached the best state by attaining devotion to Shiva soon attains the status of Shiva. That is why humans have made every effort to read this Purana – or have considered its study as the desired means. Similarly, listening to it with love also gives all the desired results. By listening to this Purana of Lord Shiva, man becomes free from all sins and after enjoying great pleasures in this life, he finally attains Shivlok.

The book Shivpuran contains twenty-four thousand verses. It has seven codes. A man should be full of devotion, knowledge, and renunciation and should listen to it with great respect. This divine Shiv Puran consisting of seven Samhitas is situated like the Supreme God and is the one who provides the most excellent progress. The one who lives Has Shiv Puran with constant research or just recites it with love daily, is a virtuous soul – there is no doubt about it.

The person with great intelligence who listens to this Purana with devotion for a long time, Lord Maheshwar becomes very pleased and grants him his place (abode). One who worships this Shiv Purana with respect every day, after enjoying all the pleasures in this world, finally attains the status of Lord Shiva.

One who, without laziness, worships this Shiv Purana every day by wearing silk clothes, etc., is always happy. This Shiv Purana is pure and is everything of Lord Shiva; One who wants happiness in this world as well as in the next world, should try and enjoy it with respect. This pure and excellent Shivpuran is the one that provides all four endeavors in the form of Dharma, Artha, Kama, and Moksha. Therefore, one should always listen to it lovingly and recite it specially.

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